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विश्वास पर हमले से कैसे बचें

प्रस्तावना

विश्वास पर आक्रमण

  • अच्छा अनुभव – विश्वास में वृद्धि
  • बुरा अनुभव – विश्वास हिल जाता है 

उदाहरण (Examples)

  • हम किसी चीज के लिए प्रार्थना करे और वह प्राप्त न हो तो हमें लगता है कि सहज योग काम नहीं कर रहा है।
  • जीवन में कुछ गलत घटित हो जाये जैसे वित्तीय समस्या, नौकरी न मिलना, शादी सफल न होना, दफ्तर की समस्याए, दुर्घटना – विश्वास हिल जाता है। 

विश्वास पर आक्रमण को कैसे जीतें

  • एक दृष्टिकोण विकसित करें
  • हमारे जीवन में जो भी हुआ वह हमारे हित के लिए है
  • जैसे राखौ वैसे ही रहूँ – दृष्टिकोण विकसित करें
  • कोई भी अनुभव ख़राब नहीं होता है 
  • हम जैसा देखते है वैसा ही दिखता है। 
  • रोजमर्रा की जिंदगी में सुंदर और छोटे अनुभवों को महसूस करके धन्यवाद करे और इसे याद रखें।  

 

अंश की प्रतिलिपि

प्रवचन 4a: परम के लिए आपको क्या मांगना चाहिए -कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 23 जून 1980
यह एक सत्य है। यह एक ऐसी चीज है जिसे आप देख सकते हैं। यह एक वास्तविकता है। और हम अपनी कल्पनाओं में इतने अधिक खो गए हैं, अपने हुड के भ्रम और दुराग्रहों में कि हम यह मान ही नहीं सकते कि ईश्वर के बारे में कुछ वास्तविकता हो सकती है। लेकिन अगर भगवान एक वास्तविकता है तो यह घटना भी हमारे भीतर घटित होनी है अन्यथा वह अस्तित्व में नहीं है।
अगर कोई नास्तिक है एक तरह से यह बेहतर है क्योंकि उसने आंख मूंदकर कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। लेकिन अगर किसी ने खुले दिमाग से परमात्मा को स्वीकार किया है और कुछ प्रकल्पनाओं का पालन नहीं किया है तो वह और बेहत्तर है।
लेकिन अगर आप इस तरह की किसी प्रकल्पना का पालन करते हैं जैसे कि भगवान होना ही चाहिए – कुछ लोगों ने मुझे बताया, “हाँ माँ, भगवान मेरी बहुत मदद करता है। ”मैंने कहा,“ सच में? वह आपकी मदद कैसे करता है?” तो महिला मुझे बताती है “मैं सुबह उठी और मैंने भगवान से प्रार्थना की, हे भगवान, मेरे बेटे की देखभाल करना!,“ इस बारे मे वह यही सोच सकी। क्या भगवान को केवल उसके बेटे की देखभाल में व्यस्त होना चाहिए, जैसे कि उनके पास कोई और काम नहीं है! “तो फिर, क्या हुआ?”
“तब मेरा बेटा विमान से आ रहा था और विमान में कुछ गड़बड़ थी, लेकिन उसे बचा लिया गया। भगवान ने मेरी वहाँ मदद की। ईश्वर तो है।” लेकिन अगर लड़के को कुछ हो गया होता, तो वह क्या कहती, मुझे नहीं पता।
इसलिए कहने के लिए कि आप ईश्वर से सहायता प्राप्त कर रहे हैं, कि ईश्वर ने आपकी ऐसे और वैसे मदद की, यह मानने के लिए बहुत है, मैं सोचती हूँ। भगवान हम सभी की देखभाल करते हैं। वह करुणा है, वह प्रेम है, उन्होंने हमें स्रजित किया है, उन्होंने हम से एक सुंदर मानव बनाया, हमारे भीतर उन्होंने इन सभी चक्रों को रखा है, उन्होंने हमारे भीतर कुंडलिनी को रखा है, और कुंडलिनी का उठना है, आपको साक्षात्कार प्राप्त करना है, यह सब है, निःसंदेह।
यह सब कार्यान्वित होना है। वह सच्चाई भी है लेकिन फिर भी सबको समझना चाहिए कि वह आपके हस्तगत नहीं है, आप उसके हस्तगत हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, “मुझे पदोन्नति दो। हे भगवान, आपको मुझे पदोन्नति देना है”। और फिर अगर वह नहीं देता है, “यह भगवान मेरे लिए मददगार नहीं है! उसने मुझे पदोन्नति क्यों नहीं दी?”
आपको भगवान को इतना सस्ता (सुलभ) नहीं करना चाहिए।
ईश्वर वह है जो सर्वशक्तिमान है, जिसने इस सारे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। उन्होंने, आपको बनाया है, और उन्होंने, आपको एक उद्देश्य के लिए बनाया है। और वह उद्देश्य कुछ सर्वोच्च है। यह उद्देश्य साधारण नहीं है, जैसे आप सोचते हैं कि उसे होना है, वह एक सामान्य व्यक्ति नहीं हैं। वह सर्वोच्च है और वह आपको कुछ ऐसा देंगे जो सर्वोच्च है।
मान लीजिए आप किसी राजा को देखने जाते हैं, तो वह आपको एक पैसा नहीं देंगे, वह क्या देंगे? वह आपको एक हीरा दे सकते है। लेकिन अगर आप भगवान से कुछ भी मांगना चाहते हैं, तो आपको परम मांगना चाहिए!
|| जय श्री माताजी ||
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प्रवचन 4b: परमचैतन्य पूजा – तौफिरचेन (जर्मनी), 19 जुलाई 1989
तो आप सभी सहज योगियों को यह जानना होगा कि वास्तव में आप कुछ भी नहीं करते हैं और सब कुछ परमचैतन्य द्वारा किया जाता है। यही एक गैर-सहज योगी और एक सहज योगी के बीच अंतर है। एक गैर-सहज योगी नहीं जानता। और अगर वह जानता भी है, उसके ह्रदय में यह सच्चाई नहीं है। यह सोच उसके अंग प्रत्यंग में नहीं है। लेकिन एक सहज योगी को पता है कि वास्तविकता मे परमचैतन्य है और यह वास्तविकता है जो सब कुछ करती है।
और फिर यह वास्तविकता ईश्वरीय प्रेम है। हम हमेशा प्यार को क्रिया से अलग करते हैं। हमारे लिए प्यार का मतलब है किसी व्यक्ति के प्रति एक प्रकार का बावला व्यवहार। इसमे कोई तकनीकी जानकारी नहीं है, कैसे प्यार करें। यह बिना किसी समझ के होता है। जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हमें नहीं पता होता है कि हम क्या करते हैं? हमें लगता है कि हम आपसे प्यार करते हैं; कल हम कहने लगते हैं, “मैं तुमसे नफरत करता हूँ।” तो यह प्यार कैसे हो सकता है?
हम अपने बच्चों से प्यार करते हैं, अपने परिवार से प्यार करते हैं, अपने दोस्तों से प्यार करते हैं – जो इतना अवास्तविक है। अगर यह असली होता तो कभी असफल नहीं होता। आप निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि ठीक है, आज आप अपने बेटे के लिए काम करेंगे और अपने बेटे के बारे में बहुत स्वार्थी होंगे। लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि कल वह आपके साथ कैसा व्यवहार करेगा या आप उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे।
लेकिन परमचैतन्य जानता है। अपने प्यार का इजहार कैसे करना है वह जानता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि यह प्रेम की एक शाश्वत अनुभूति है जो उसके वर्ण, रंग को बदल सकती है लेकिन उस प्रेम की फिक्र वही होगी। प्रेम का तत्व फिक्र है।
यहां तक कि अगर कोई गलत करता है, ईश्वर की फिक्र उस व्यक्ति को सही करने के लिए होगी – फिक्र। या इसके लिए हम कहते हैं कि “हित,” हितकारिता है। इसलिए हितकारिता के लिए फिक्र हर समय रहेगी, यद्यपि वह कभी-कभी क्रूर दिखाई दे सकती है, स्नेहमई दिख सकती है, अति- लिप्त प्रतीत हो सकती है; जो भी आकार यह ले सकती है, एक लहर की तरह। जिस तरह भी यह दिखे, लेकिन वास्तव में आपके हित के लिए है। यह आपके हित के लिए काम करती है। न केवल आपका हित, बल्कि सामूहिक हित। और यह अच्छी तरह से जानती है कि क्या करना है, कैसे करना है। इसे कहीं से भी सीखने और जानने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस सब जानकारी का पूर्ण ज्ञान इसी के अपने अंदर है। यह ऐसी बुद्धिमत्ता, ज्ञान और प्रेम का भंडार है। इसलिए यह विचलित नहीं होती।
एक बार जब आप सहज योगी बन जाते हैं, तो आपके परोपकार की चिंता हर समय रहती है। आपको दंडित किया जाता है या नहीं यह अलग बात है। कुछ लोगों को नौकरी मिल सकती है। कुछ लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी। कुछ लोगों के साथ यह इस तरह से काम करेगा, कुछ लोगों के साथ यह उस तरह से काम नहीं करेगा। तब कोई यह कह सकता है कि “यह परमचैतन्य इस तरह व्यवहार कैसे कर रहा है?” यह सब आपके सुधार के लिए है। यह एक बड़ा मंथन है; जो कुछ भी, आपके सुधार के लिए काम करता है और आपके हित के लिए है। यदि आप इस बात को समझते हैं, तो आप अपने जीवन में कभी निराश नहीं होंगे। और उसे अपने हित की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि यह स्वयं पूर्ण परहित है। यह कभी नहीं सोचता है कि यह कैसे कृपालु या मददगार होने जा रहा है, क्योंकि इसको इस बारे में कोई दिक्कत नहीं है।
एक आदमी, मान लीजिये, जिसके पास सब कुछ है, सांसारिक चीजें हैं, फिर भी अधिक पाने के बारे में चिंतित हो सकता है – वहां लालच होगा।
लेकिन जैसा कि यह पूर्ण, पूर्ण है, इसका कोई लालच नहीं है, यह खुद से पूरी तरह से संतुष्ट है और क्योंकि यह इतना शक्तिशाली है, इतना ज्ञानवान है कि इसमें कोई संदेह नहीं है, किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है। और क्योंकि कोई भी ऐसा नहीं है जो इसे नुकसान पहुंचा सकता है, इसे कोई डर नहीं है।
और आप सभी ने अब परमचैतन्य को महसूस किया है । आपको एक पूर्ण निडर जीवन, एक शांतिपूर्ण जीवन और एक खुशहाल जीवन देना चाहिए, एक बच्चे की तरह जो अपनी मां को पाता है फिर वह रोना बंद कर देता है – अब और नहीं, अब उसने अपनी मां को पा लिया है।
उसी तरह आपने परमचैतन्य और उसके साथ संबंध पाया है इसलिए आपको किसी भी चीज़ के लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, आपको किसी भी चीज़ के बारे में नहीं सोचना है, आपको किसी भी चीज़ के बारे में योजना नहीं बनाना है। केवल एक ही चीज़ है, आपको इसमें कूदना है, बस इसमें कूदें और जान लें कि आप वास्तविकता का अंग प्रत्यंग बन गए हैं। यह अगर आप समझ गए हैं तो मुझे लगता है कि हमने एक बड़ा काम किया है।
मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे कि हमारे चारों ओर सर्वव्यापी शक्ति वह है जो सहज योग कर रही है, वह वही है जो आपको सहज योग में ले आया है और वह है जिसने आपको आशीर्वाद दिया है, यह परमचैतन्य, जिसके माध्यम से सबकुछ हो गया है। इसलिए आज की प्रार्थना यह होनी चाहिए कि हम अधिक से अधिक जागरूक हों कि हम उस परमचैतन्य का अंग प्रत्यंग हैं और हम इसे महसूस कर सकते हैं कि हम उस शक्ति का उपयोग कर सकते हैं, हम इसे कार्यान्वित कर सकते हैं। अगर आज ऐसा महसूस होता है, तो मुझे लगता है कि बहुत से काम पहले ही हो चुके हैं और उसके लिये भगवान आपको आशीर्वाद दे।
अभी। तो जब आप इस पूजा को कर रहे हैं तो कृपया याद रखें कि आप मुझे परमाचैतन्य के रूप में पूज रहे हैं और इसलिए आपको सिर्फ यह सोचना है कि आप स्वयं वास्तविकता से निपट रहे हैं। उस समझ के साथ आपको यह पूजा करनी होगी।
भगवान आप सबको आशीर्वादित करें।

सम्पूर्ण भाषण का लिंक: 1989-07-19 Paramchaitanya Puja Talk, Taufkirchen, Germany

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